वियतनाम के राष्ट्रनायक हो ची मिन्ह ने अपने एक संस्मरण में लिखा है- मैं जब नौ वर्ष का था तो स्कूल की परीक्षा में अनुतीर्ण हो गया। खराब परीक्षाफल देख मैं बहुत दु:खी हुआ। जीवन निस्सार और दुनिया रसहीन लगने लगी। इस मानसिक अशांति और निराशा के चलते मैं आत्महत्या करने का विचार करने लगा। मेरे परिवार के सभी लोग मुझसे बहुत स्नेह करते थे और मेरी निराशा से वे भी काफी दुखी थे। मेरे पिता जी ने मुझे खूब समझाया,मां ने खूब स्नेह दिखाया, कुल पुरोहित ने कई बार मंत्रसिद्ध फल खिलाए, लेकिन सब कुछ व्यर्थ रहा। रात को नींद नही आती और दिन बेचैनी में कटता।
ऐसे में एक दिन मैं चुपचाप घर से भाग निकला। एक बौद्ध मठ के पास से गुजर रहा था तो एक भिक्षु द्वारा गाई जा रही कविता के मधुर स्वरों को सुनकर पैर ठिठके। भिक्षु गा रहा था पानी मैला क्यों नहीं होता? क्यों कि वह बहता रहता है पानी के मार्ग में बाधाएं क्यों नहीं आती क्यों कि वह बहता रहता है। पानी का एक बिंदु झरने से नदी, नदी से महानदी और महानदी से समुद्र क्यों बन जाता है? क्यों कि वह बहता है। इसलिए मेरे जीवन तुम रुको मत, बहते रहो, बहते रहो। काफी देर तक मैं आवाक खड़ा रहा। जब लौटा तो बहता जल था। आज भी बहता जल हूं। मैं सब जगह जाता हूं और अपनी गति, जो कुछ मुझमें शेष है, सबको देता हूं, क्यों कि मैं बहता जल हूं। गतिमान हूं।
सार यह है कि जीवन में कोई उपलब्धि न पाने की असफलता से निराश होकर कभी नकारात्मक सोच को हावी न होने दें, बल्कि उससे सबक लेकर दूसरे बेहतर लक्ष्य की ओर बढ़ें, क्यों कि गति ही जीवन है और रूकना मृत्यु।
ऐसे में एक दिन मैं चुपचाप घर से भाग निकला। एक बौद्ध मठ के पास से गुजर रहा था तो एक भिक्षु द्वारा गाई जा रही कविता के मधुर स्वरों को सुनकर पैर ठिठके। भिक्षु गा रहा था पानी मैला क्यों नहीं होता? क्यों कि वह बहता रहता है पानी के मार्ग में बाधाएं क्यों नहीं आती क्यों कि वह बहता रहता है। पानी का एक बिंदु झरने से नदी, नदी से महानदी और महानदी से समुद्र क्यों बन जाता है? क्यों कि वह बहता है। इसलिए मेरे जीवन तुम रुको मत, बहते रहो, बहते रहो। काफी देर तक मैं आवाक खड़ा रहा। जब लौटा तो बहता जल था। आज भी बहता जल हूं। मैं सब जगह जाता हूं और अपनी गति, जो कुछ मुझमें शेष है, सबको देता हूं, क्यों कि मैं बहता जल हूं। गतिमान हूं।
सार यह है कि जीवन में कोई उपलब्धि न पाने की असफलता से निराश होकर कभी नकारात्मक सोच को हावी न होने दें, बल्कि उससे सबक लेकर दूसरे बेहतर लक्ष्य की ओर बढ़ें, क्यों कि गति ही जीवन है और रूकना मृत्यु।