♦ सच्चे हीरे की पहचान ♦

एक दिन राजा का दरबार लगा हुआ था। पूरी आम सभा सुबह की धूप मे बैठी थीl राजा के परिवार के सदस्य भी बैठे थे। उसी समय एक व्यक्ति आया और राजा से दरबार में मिलने की आज्ञा मांगी।

प्रवेश मिल गया तो उसने कहा, '' मेरे पास दो वस्तुएँ हैं, बिल्कुल एक जैसी लेकिन एक नकली है और एक असली l मै हर राज्य के राजा के पास जाता हूँ और उन्हें परखने का आग्रह करता हूँ, लेकिन कोई परख नही पाता, सब हार जाते है और मैं विजेता बनकर घूम रहा हूँ । अब आपके नगर मे आया हूँ।

राजा ने उसे दोनों वस्तुओं को पेश करने का आदेश दिया। तो उसने दोनों वस्तुयें टेबल पर रख दीं। बिल्कुल समान आकार समान रुप रंग, समान प्रकाश, सब कुछ नख शिख समान।

राजा ने कहा, '' ये दोनों वस्तुएँ एक हैं ? '' तो उस व्यक्ति ने कहा, '' हाँ दिखाई तो एक जैसी देती है लेकिन हैं अलग। इनमें से एक बेशकीमती हीरा है और एक काँच का टुकडा है, लेकिन रूप दोनों का एक है। कोई आज तक परख नहीं पाया कि कौन सा हीरा है और कौन सा काँच? कोई परख कर बताये अगर परख खरी निकली तो मैं हार जाऊँगा और यह कीमती हीरा मै आपके राज्य की तिजोरी में जमा करवा दूँगा l यदि कोई न पहचान पाया तो इस हीरे की जो कीमत है उतनी धनराशि आपको मुझे देनी होगी। इसी प्रकार मैं कई राज्यों से जीतता आया हूँ। ''

राजा ने कई बार उन दोनों वस्तुओं को गौर से देखकर परखने की कोशिश की और अंत में हार मानते हुए कहा,  '' मैं तो नहीं परख सकूंगा। ''

दीवान बोले '' हम भी हिम्मत नही कर सकते, क्योंकि दोनो बिल्कुल समान है। ''

कोई व्यक्ति पहचान नही पाया। आखिरकार पीछे थोड़ी हलचल हुई। एक अंधा आदमी हाथ मे लाठी लेकर उठा। उसने कहा, '' मुझे महाराज के पास ले चलो, मैंने सब बाते सुनी हैं और यह भी सुना कि कोई परख नहीं पा रहा है। मुझे भी एक अवसर दो। ''

एक आदमी के सहारे वह राजा के पास पहुंचा उसने राजा से प्रार्थना की, '' मैं तो जन्म से अंधा हूँ फिर भी मुझे एक अवसर दिया जाये जिससे मैं भी एक बार अपनी बुद्धि को परखूँ और हो सकता है कि सफल भी हो जाऊँ। ''

राजा को लगा कि इसे अवसर देने मे कोई हर्ज नहीं है और राजा ने उसे अनुमति दे दी।

उस अंधे आदमी को दोनों वस्तुएं उसके हाथ में दी गयी और पूछा गया कि इनमे कौन सा हीरा है और कौन सा काँच?

उस आदमी ने एक मिनट मे ही कह दिया कि यह हीरा है और यह काँच। जो आदमी इतने राज्यों को जीतकर आया था वह नतमस्तक हो गया। आपने पहचान लिया! आप धन्य हैं। अपने वचन के मुताबिक यह हीरा मैं आपके राज्य की तिजोरी मे दे रहा हूँ। सब बहुत खुश हो गये।

राजा और अन्य सभी लोगो ने उस अंधे व्यक्ति से एक ही जिज्ञासा जताई कि, तुमने यह कैसे पहचाना कि यह हीरा है और वह काँच?

उस अंधे ने कहा,  '' सीधी सी बात है राजन, धूप में हम सब बैठे हैं, मैंने दोनो को छुआ। जो ठंडा रहा वह हीरा, जो गरम हो गया वह काँच। ''

यही बात हमारे जीवन में भी लागू होती है, जो व्यक्ति बात बात में अपना आपा खो देता है, गरम हो जाता है और छोटी से छोटी समस्याओं में उलझ जाता है वह काँच जैसा है और जो विपरीत परिस्थितियों में भी सुदृढ़ रहता है और बुद्धि से काम लेता है वो ही सच्चा हीरा है।