♠ प्रयास ♠

महात्मा बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के लिये घोर तप कर रहे थे !
उन्होंने अपने शरीर को काफी कष्ट दिया ;घने वनो में कड़ी साधना की पर आत्म-ज्ञान की प्राप्ति नहीं हुई !

एक दिन निराश हो बुद्ध सोचने लगे -मैंने अभी तक कुछ भी प्राप्त नहीं किया अब आगे क्या कर पाऊंगा ?

निराशा अविश्वास के इन नकारात्मक भावों ने उन्हें क्षुब्ध कर दिया ! कुछ ही क्षणों बाद उन्हें प्यास लगी ! वे थोड़ी दूर स्थित एक झील पर पहुंचे ! वहां उन्होंने एक दृश्य देखा कि एक नन्ही-सी गिलहरी के दो बच्चे झील में डूब गये है !

पहले तो वह गिलहरी जड़वत बैठी रही फिर कुछ देर बाद उठकर झील के पास गई ! अपना सारा शरीर झील के पानी में भिगोया और फिर बाहर आकर
पानी झाड़ने लगी ! ऐसा वह बार-बार करने लगी !

बुद्ध सोचने लगे -इस गिलहरी का प्रयास कितना मूर्खतापूर्ण है क्या कभी यह इस झील को सुखा सकेगी ? किंतु गिलहरी यह प्रयास लगातार जारी रहा ! बुद्ध को लगा मानो गिलहरी कह रही हो कि यह झील कभी खाली होगी या नही यह मैं नहीं जानती किंतु मैं अपना प्रयास नहीं छोड़ूंगी !

अंततः उस छोटी सी गिलहरी ने भगवान बुद्ध को अपने लक्ष्य-मार्ग से विचलित होने से बचा लिया ! वे सोचने लगे कि जब यह नन्ही गिलहरी अपने लघु
सामर्थ्य से झील को सुखा देने के लिये दृढ़ संकल्पित हैतो मुझमें क्या कमी है ? मैं तो इससे हजार गुणा अधिक क्षमता रखता हूँ !

यह सोचकर गौतम बुद्ध पुनः अपनी साधना में लग गये और एक दिन बोधि-वृक्ष तले उन्हें ज्ञान का आलोक प्राप्त हुआ !

यदि हम प्रयास करना न छोड़ें तो एक न एक दिन लक्ष्य की प्राप्ति हो ही जाती है !