एक था शेर l उसकी दोस्ती थी एक लोमडी से ! शेर शिकार करता,खुद खाता और लोमडी को भी खिलाता! लेकिन अब शेर बूढा हो चला था ! शिकार करना कठिन हो रहा था !
कई दिनो से लोमडी और शेर भूखे थे ! तभी उन्हे दूर से एक खरगोश आता दिखाई दिया ! लोमडी ने कहा - शेर साहब,झट मरने का बहाना कीजिए !
शेर लेट गया ! लोमडी ने झट उसे सूखे पत्तो से ढकना शुरू किया ! अब शेर की केवल पूंछ बाहर दिख रही थी ! फिर लोमडी लगी रोने,जोर - जोर से !
'' अरे, क्या हुआ ! '' खरगोश ने पूछा ! उवां...उवां.. - देखते नही,मर गए शेर साहब, उवां...उवां...! आओ,आओ ! ढकवा दो शेर साहब को, पत्तो से ढकवा दो उवां...उवां... !
खरगोश रूका ! उसने थोडा सोचा, फिर कहा - अरे मौसी,मरने के बाद तो शेर की पूंछ हिलती है ! शेर साहब की पूंछ तो हिल ही नही रही !
खरगोश की बात सुनते ही शेर पूंछ हिलाने लगा !
पूंछ का हिलना था कि खरगोश पलभर मे भाग गया !