♠ सफलता की कोई उम्र नहीं होती ! ♠


'' हम इसलिए खेलना नहीं छोड़ देते क्योंकि हम बूढ़े हो जाते हैं, हम इसलिए बूढ़े हो जाते हैं क्योंकि हम खेलना छोड़ देते हैं! ''

इस संसार में बहुत से लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अपने कार्योँ से अपनी उम्र को पीछे छोड़ दिया। यह बात सच है कि हमारे शरीर के कार्य करने की एक सीमा है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर के कार्य करने की क्षमता घटती जाती है, लेकिन जिन लोगों के हौसले बुलंद होते हैं, जो जीवन में कुछ कर गुजरने की चाह रखते हैं, जिनमें उत्साह – उमँग होता है, जिनकी इच्छाशक्ति व संकल्पशक्ति मजबूत होती है, ऐसे व्यक्तियों के सामने कोई बाधा बड़ी नहीं होती। ऐसे व्यक्ति आत्मविश्वास से भरे हुयें होते है, जो असंभव को भी संभव बना देते है।

युवा किसी आयु अवस्था का नाम नहीं, बल्क़ि शक्ति का नाम है। जिसने अपने मन और आत्मा की शक्ति को जगा लिया, वह ७० वर्ष की आयु में भी युवा है।

बहुत से लोग उम्र बढ़ने के साथ – साथ सोचने लगते हैं कि अब तो हमारी उम्र हो गयी है, “अब हमसे ये सब नहीं हो सकता”। उनकी यही सोच उन्हें निर्बल बना देती है और कुछ कार्य नहीं करने देती। व्यक्ति जितना अपने शरीर से कार्य करता है, उससे कई गुना कार्य वह अपने मन से करता है। यदि मन की शक्तियाँ ही उसकी कमजोर पड़ गई हैं, तो फिर जरूरत है उन्हें जगाने की।

शक्तियों के जागरण से संबंधित एक ऐतिहासिक कथा याद आती है।

एक राजा के पास कई हाथी थे, लेकिन एक हाथी बहुत शक्तिशाली था, बहुत आज्ञाकारी, समझदार व युद्ध-कौशल में निपुण था। बहुत से युद्धों में वह भेजा गया था और वह राजा को विजय दिलाकर वापस लौटा था, इसलिए वह महाराज का सबसे प्रिय हाथी था। समय गुजरता गया और एक समय ऐसा भी आया, जब वह वृद्ध दिखने लगा। अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर पाता था। इसलिए अब राजा उसे युद्ध क्षेत्र में भी नहीं भेजते थे। एक दिन वह सरोवर में जल पीने के लिए गया, लेकिन वहीं कीचड़ में उसका पैर धँस गया और फिर धँसता ही चला गया। उस हाथी ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह उस कीचड़ से स्वयं को नहीं निकाल पाया। उसकी चिंघाड़ने की आवाज से लोगों को यह पता चल गया कि वह हाथी संकट में है। हाथी के फँसने का समाचार राजा तक भी पहुँचा।

राजा समेत सभी लोग हाथी के आसपास इक्कठा हो गए और विभिन्न प्रकार के शारीरिक प्रयत्न उसे निकालने के लिए करने लगे। जब बहुत देर तक प्रयास करने के उपरांत कोई मार्ग नहीं निकला तो राजा ने अपने सबसे अनुभवी मंत्री को बुलवाया। मंत्री ने आकर घटनास्थल का निरीक्षण किया और फिर राजा को सुझाव दिया कि सरोवर के चारों और युद्ध के नगाड़े बजाए जाएँ। सुनने वालोँ को विचित्र लगा कि भला नगाड़े बजाने से वह फँसा हुआ हाथी बाहर कैसे निकलेगा, जो अनेक व्यक्तियों के शारीरिक प्रयत्न से बाहर निकल नहीं पाया।

आश्चर्यजनक रूप से जैसे ही युद्ध के नगाड़े बजने प्रारंभ हुए, वैसे ही उस मृतप्राय हाथी के हाव-भाव में परिवर्तन आने लगा। पहले तो वह धीरे-धीरे करके खड़ा हुआ और फिर सबको हतप्रभ करते हुए स्वयं ही कीचड़ से बाहर निकल आया। अब मंत्री ने सबको स्पष्ट किया कि हाथी की शारीरिक क्षमता में कमी नहीं थी, आवश्यकता मात्र उसके अंदर उत्साह के संचार करने की थी। हाथी की इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि यदि हमारे मन में एक बार उत्साह – उमंग जाग जाए तो फिर हमें कार्य करने की ऊर्जा स्वतः ही मिलने लगती है और कार्य के प्रति उत्साह का मनुष्य की उम्र से कोई संबंध नहीं रह जाता।

जीवन में उत्साह बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि मनुष्य सकारात्मक चिंतन बनाए रखे और निराशा को हावी न होने दे। कभी – कभी निरंतर मिलने वाली असफलताओं से व्यक्ति यह मान लेता है कि अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर सकता, लेकिन यह पूर्ण सच नहीं है।

★ हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी आजादी की लड़ाई 48 साल की उम्र में शुरू की थी और हमें आज़ादी दिलाई।

★ जापान के 105 वर्षीय धावक हिडकीची मियाज़ाकि ने 42.22 सेकण्ड्स में 100 मीटर डैश कम्पलीट कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया।

★ मशहूर अभिनेता बोमन ईरानी ने 44 साल की उम्र में एक्टिंग करना शुरू की।

★ ग्रामीण बैंक के फाउंडर और नोबल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद युनुस ने 43 साल की उम्र में ग्रामीण बैंक की शुरुआत की।

★ अमिताभ बच्चन आज 70 साल से ऊपर होने के बावजूद सबसे सक्रीय बॉलीवुड स्टार्स में से एक हैं।
ऐसे तमाम उदहारण हैं जहाँ लोगों ने साबित किया है कि अगर कुछ कर गुजरने का हौंसला हो तो क्या उम्र और क्या चुनौतियाँ कुछ मायने नहीं रखता ।

→ मित्रों, प्रसिद्ध विचारक जॉन ओ डनह्यू का कहना है

“आप उतने युवा है, जितना आप महसूस करते हैं। अगर आप अंदर के उत्साह को महसूस करना शुरू करेंगे, तो एक ऐसी जवानी महसूस  करेंगे, जिसे कोई भी आपसे छीन नहीं सकता”।

मन में उत्साह हो तो उम्र कभी भी कार्य के मार्ग पर बाधा नहीं बनती। बाधा बनती है तो केवल हमारी नकारात्मक सोच। यदि कार्य करना है तो किसी भी उम्र में कार्य किया जा सकता है, कार्य करने के तरीके बदले जा सकते हैं और पहले की तुलना में अधिक अच्छे ढंग से व कुशलतापूर्वक कार्य किया जा सकता है।

उम्र के असर को बहुत हद्द तक अपने प्रयासों, सकारात्मक सोच और उत्साह से कम किया जा सकता है, अतः ये कहने से पहले कि हमारी उम्र हो गयी है , हम ये नहीं कर सकते , वो नहीं कर सकते उन तमाम लगों के बारे में सोचिये जिनके लिए age एक number से अधिक कुछ नहीं है। अगर वो कर सकते हैं तो कोई भी कर सकता है, तो चलिए फिर से सपने देखना शुरू करिए, फिर से उनका पीछा कीजिये और एक बार फिर अपने सपनो को साकार कर दीजिये।

धन्यवाद!