♠ क्रोध ♠

१→• क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है।

२→• मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है।

३→• क्रोध करने का मतलब है,
दूसरों की गलतियों कि सजा स्वयं को देना।

४→• जब क्रोध आए तो उसके परिणाम पर विचार करो

५→• क्रोध से धनी व्यक्ति घृणा और निर्धन तिरस्कार का पात्र होता है।

६→•क्रोध मूर्खता से प्रारम्भ और पश्चाताप पर खत्म होता है।

७→• जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में नहीं कह सकता, उसी को क्रोध अधिक आता है।

८→• क्रोध मस्तिष्क के दीपक को बुझा देता है। अतः हमें सदैव शांत व स्थिरचित्त रहना चाहिए।

९→• क्रोध में की गयी बातें अक्सर अंत में उलटी निकलती हैं।

१०→• जो मनुष्य क्रोधी पर क्रोध
नहीं करता और क्षमा करता है वह अपनी और क्रोध करने वाले की महासंकट से रक्षा करता है।

११→• सुबह से शाम तक काम करके आदमी उतना नहीं थकता जितना क्रोध या चिन्ता से पल भर में थक जाता है।

१२→• क्रोध में हो तो बोलने से पहले दस तक गिनो, अगर ज़्यादा क्रोध में तो सौ तक।

१३→• क्रोध की फुफकार अहं पर चोट लगने से उठती है।

१४→• क्रोध में विवेक नष्ट हो जाता है।