१→• क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक
सहायक है।
२→• मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से
प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे
वश में करता है।
३→• क्रोध करने का मतलब है,
दूसरों की गलतियों कि सजा स्वयं को देना।
४→• जब क्रोध आए तो उसके परिणाम पर
विचार करो
५→• क्रोध से धनी व्यक्ति घृणा और निर्धन तिरस्कार का पात्र होता है।
६→•क्रोध मूर्खता से प्रारम्भ और पश्चाताप पर खत्म होता है।
७→• जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में
नहीं कह सकता, उसी को क्रोध अधिक
आता है।
८→• क्रोध मस्तिष्क के दीपक को बुझा देता है। अतः हमें सदैव शांत व स्थिरचित्त रहना चाहिए।
९→• क्रोध में की गयी बातें अक्सर अंत में उलटी निकलती हैं।
१०→• जो मनुष्य क्रोधी पर क्रोध
नहीं करता और क्षमा करता है वह अपनी और
क्रोध करने वाले की महासंकट से
रक्षा करता है।
११→• सुबह से शाम तक काम करके आदमी उतना नहीं थकता जितना क्रोध या चिन्ता से पल भर में थक जाता है।
१२→• क्रोध में हो तो बोलने से पहले दस तक
गिनो, अगर ज़्यादा क्रोध में तो सौ तक।
१३→• क्रोध की फुफकार अहं पर चोट लगने से
उठती है।
१४→• क्रोध में विवेक नष्ट हो जाता है।